एम्स प्रशासन की लापरवाही, आग लगने की घटना की जांच के नाम पर हुई लीपापोती
सेहतराग टीम
एम्स के शैक्षणिक ब्लॉक में आग लगने की घटना में सात करोड़ से अधिक रकम के उपकरण व चिकित्सा सामान जल गए। जिसकी वजह से कई जांच सुविधाएं अब भी ठप हैं। इस घटना को पांच माह होने वाले हैं और इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एम्स प्रशासन कितना गंभीर है। पांच माह होने के वाबजूद अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है। एम्स प्रशासन ने जांच के नाम पर सिर्फ कमेटी गठित कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। यह बात आरटीआइ के जवाब में सामने आई है।
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पिछले 29 नवंबर को दायर आरटीआइ में पूछा गया था कि एम्स के शैक्षणिक ब्लॉक में आग लगने की घटना की जांच के लिए क्या कोई कमेटी गठित हुई थी, उस कमेटी में कितने सदस्य थे? कमेटी की कितनी बैठकें हुईं, किन-किन पहलुओं की जांच की गई? जांच में घटना का क्या कारण सामने आया और क्या कोई कार्रवाई हुई।
आरटीआइ के आवेदन में जांच रिपोर्ट की भी मांग की गई थी। छह जनवरी को एम्स ने इस आरटीआइ का जवाब दिया, जिसमें कहा गया है कि घटना की जांच के लिए अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है। जांच समिति की रिपोर्ट प्रक्रियाधीन है। कमेटी की कितनी बैठकें हुई और किन-किन पहलुओं पर जांच की गई इस बारे में एम्स ने कोई जवाब नहीं दिया है। एम्स ने यह भी नहीं बताया है कि जांच की प्रक्रिया कब तक पूरी होगी।
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इसके पहले आरटीआइ के एक जवाब में एम्स ने बताया था कि उस घटना में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचआइवी लैब, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी लैब व वायरोलॉजी लैब को काफी नुकसान पहुंचा है। इन तीनों लैब में सात करोड़ 13 लाख 53 हजार 393 रुपये के जांच उपकरण व चिकित्सा सामान जल कर बर्बाद हो गए। उल्लेखनीय है कि 17 अगस्त 2019 को एम्स के शैक्षणिक ब्लॉक में भीषण आग लगी थी, जिसे बुझाने में करीब आठ घंटे का समय लगा था।
(साभार- खबर दैनिक जागरण)
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